पेज

मेरी अनुमति के बिना मेरे ब्लॉग से कोई भी पोस्ट कहीं न लगाई जाये और न ही मेरे नाम और चित्र का प्रयोग किया जाये

my free copyright

MyFreeCopyright.com Registered & Protected

बुधवार, 30 दिसंबर 2015

बेमुरव्वत!

आने वाला आता है जाने वाला जाता है
दस्तूर दुनिया का हर कोई निभाता है

कोई खार बन तल्ख़ ज़ख्म दे जाता है
कोई यादों में गुलाब बन खिल जाता है

बेमुरव्वत! इक फाँस सा सीने में धंसा जाता है
उम्र भर का लाइलाज दर्द जो दिए जाता है

गिले शिकवों का शमशानी शहर बना जाता है
जब भी यादों में बिन बुलाये चला आता है

यही जाते साल को नज़राना देने को जी चाहता है
फिर न किसी मोड़ पर तू ज़िन्दगी के नज़र आना

मुझे मुझसे चुरा लिया बेखुदी में डुबा दिया
अब किसी पर न ऐतबार करने को जी चाहता है


5 टिप्‍पणियां:

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 31-12-2015 को चर्चा मंच पर अलविदा - 2015 { चर्चा - 2207 } में दिया जाएगा । नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाओं के साथ
धन्यवाद

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

बेहतरीन रचना और उम्दा प्रस्तुति....आपको सपरिवार नववर्ष की शुभकामनाएं...HAPPY NEW YEAR 2016...
PLAEASE VISIT MY BLOG AND SUBSCRIBE MY YOUTUBE CHANNEL FOR MY NEW SONGS.

Asha Joglekar ने कहा…

नये साल पर ऐसी उदासी और गुस्सा न न न। फिर भी अच्छी लगी ।

Asha Joglekar ने कहा…

नये वर्ष की अनेकानेक शुभ कामनायें।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

ओह , इतनी भी निराशा क्यों ? आने वाला समय तो आपका है :)