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बुधवार, 25 मई 2011

किसी रेत में आशियाँ बनता ही नहीं

वो आग ना मिली
जो जला सके मुझे
वो रेत ना मिली
जो दबा सके मुझे
वो पानी ना मिला
जो बहा सके मुझे
फिर कहो तुम
कैसे मिल गए
अब बह भी रही हूँ
दब भी रही हूँ
और जल भी रही हूँ
मगर अंतर्मन है कि
कभी राख होता ही नहीं
वहां की मिटटी अभी भी
सूखी है
किसी रेत में
आशियाँ बनता ही नहीं




24 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जब तक जीवन है अन्तः जूझेगा।

विभूति" ने कहा…

bhut bhut hi sunder rachna...

रजनीश तिवारी ने कहा…

सुंदर अभिव्यक्ति ...

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

vandana ji,
ret mein aashiyaan banta nahi...satya vachan!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

विकट स्थिति ... भावमयी रचना

ZEAL ने कहा…

umda prastuti vandana ji .

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

किसी रेत में
आशियाँ बनता ही नहीं
--
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!

सदा ने कहा…

किसी रेत में

आशियां बनता ही नहीं ...

बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने ।

devendra gautam ने कहा…

सूक्ष्म आत्मा जब मोह-माया के बंधन में फंसती है तो स्थूल हो जाती है....इसके बाद ही वो स्थितियां उत्पन्न होती हैं जिनकी ओर आपकी नज़्म के दूसरे हिस्से में इशारा किया गया है. अच्छी लगी ये नज़्म...बधाई!

---देवेंद्र गौतम

Anita ने कहा…

अंतर्मन कभी राख होता ही नहीं, भीगता भी नहीं... क्योकि शाश्वत है, भावपूर्ण कविता के लिये बधाई !

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

Unknown ने कहा…

किसी रेत में
आशियाँ बनता ही नहीं

बहुत सुन्दर ,भावमयी अभिव्यक्ति

Rakesh Kumar ने कहा…

वंदना जी,आपकी पहेली कैसे हल हो आप ही बताएं.
मेरी तो बस के बाहर है.

शरद कोकास ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति

मनोज कुमार ने कहा…

किसी रेत में आशिया बनता नहीं
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

आशु ने कहा…

वंदना जी,

क्या बढ़िया लिखा है सच ही तो है....

फिर कहो तुम
कैसे मिल गए
अब बह भी रही हूँ
दब भी रही हूँ
और जल भी रही हूँ
आशु

दिगम्बर नासवा ने कहा…

संभव तो सबकुछ है जब कोई मिले ... बहुत खूब ....

कविता रावत ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...

Mridula Harshvardhan ने कहा…

bahut sunder

M VERMA ने कहा…

जीवन का यही तो विरोधाभाष है

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत कुछ कह रही हे आप की यह भावमयी कविता, धन्यवाद

Pratik Maheshwari ने कहा…

सही है.. किसी का मिलना जीवन बदल सकता है और फिर भी स्थिर रख सकता है.. जीवन की बड़ी माया के आगे हमारी क्या बिसात...

आभार
सुख-दुःख के साथी पर आपके विचारों का इंतज़ार है..

***Punam*** ने कहा…

अति सुन्दर...!

musafir ने कहा…

प्रेम के प्रवाह मे जलना दबना सब जीवन का अंग हो जाता है